बच्चों के साथ राजेश जोशी
हम सबके प्रिय कवि राजेश जोशी के जन्मदिन पर बच्चों के साथ उनकी दो कवितायें ‘पेड़ क्या है ‘, ‘बादल क्या है’ और एक नाटक ‘ब्रह्मराक्षस का नाई’ पढ़ा। आज आते साथ उन्हें राजेश जी की तस्वीर दिखाई तो पहली कक्षा पढ़ने वाले अभिनव ने सवाल पूछा- गूगल में सबकी फोटो कैसे आ जाती है ? जब तक इस सवाल का जवाब देते तुरंत बोला कि अब आप भी अपने को देखिए न? अक्सर ही इस तरह की छोटी – छोटी पर ज़रूरी जिज्ञासा के साथ हम लोगों की बातचीत शुरू होती है,कभी तय किये रास्ते में बात चल पाती है तो कई बार भटक भी जाती है।

‘ब्रह्मराक्षस का नाई’ बच्चों के लिए लिखा गया मज़ेदार नाटक है। सरल भाषा में लिखा गया है पर बच्चे कई बार कई सरल शब्दों के अर्थ से अपरिचित रहते हैं तो धारा – प्रवाह पढ़ना मुश्किल होता है। रुक-रुक कर उनसे पूछते और समझाते आगे बढ़ना पड़ता है। इससे पढ़ने के बाद में सभी बच्चों से क्या अच्छा लगा ,क्यों लगा और कौन अच्छा लगा जैसे सवालों के जवाब और उनकी बात सुन पाती हूँ। इस नाटक की कहानी ये है कि एक नाई है जो कोई काम नहीं करता तो उसकी माँ घर से बाहर निकाल देती है और कहती है कि जब कमाने लगो तब घर लौटना और बस इसी चुनौती के साथ नाई बाहर निकलता है और उसका जंगल में ब्रह्मराक्षस से सामना होता है। इसके बाद कहानी और नाई के जीवन में यू टर्न होता है जो बड़ा मज़ेदार है। बच्चे बड़ा मज़ा लिए और जैसे ही पढ़ना पूरा हुआ ,आवाज़ आई कि दीदी , हम पहले बताएंगे।

अभिषेक ने बताया – ब्रह्मराक्षस बुद्धू था ,नाई डरपोक था पर ब्रह्म राक्षस को बुद्धू बना दिया।
राहुल – नाई की माँ ने उसे काम नहीं करने की वजह से निकाल दिया और बाद में उसे खज़ाना मिल गया।
देव – नाई चालाक था पर कामचोर था। कामचोर नाई को गाँव के बच्चे भी चिढ़ाते थे। राक्षस को बुद्धू बनाकर नाई ने काम करवाया , खज़ाना ले लिया । थोड़ा बहादुर भी था और थोड़ा डरपोक भी था।
अभिनव पहली कक्षा में पढ़ता है पर बात उसे समझ आती है और उसे अभिव्यक्त करने में देरी नहीं करता। उसने नाटक के बारे में कहा – जो लड़का था वो काम नहीं करता था इसलिए माँ परेशान होकर भगा दी। नाई ने ब्रह्मराक्षस को बात में फंसाया। नाई घमंडी था , कुछ काम नहीं करता था और घमंड के साथ गुस्सा भी करता था।
नम्रता पर थोड़ा-थोड़ा करके पढ़ने का असर दिखने लगा है उसने परिपक्व जवाब दिया – अपने आप को बचाने के लिए नाई ने ब्रह्मराक्षस को बुद्धू बना लिया। बुद्धू तो बनाया पर इतना डरा दिया और उसे पता ही नहीं चला कि ब्रह्मराक्षस की आत्मा क़ैद हुई है या नहीं और वह लगातार नाई के बाते काम करता रहा जब दूसरा ब्रह्मराक्षस उसे खेत में काम करते देखा तो उसने पहले वाले ब्रह्मराक्षस की हंसी उड़ाई । दूसरे ब्रह्मराक्षस को अपने पर विश्वास था कि अपने दोस्त ब्रह्मराक्षस को बचा लूंगा पर वो भी डर गया। राक्षस वगैरह होता नहीं है ,अंधविश्वास है।
जब – जब भूत-प्रेत ,आत्मा ,चुड़ैल, डायन , राक्षस शब्द किसी कहानी , कविता में आता है तो हर बार यह सवाल दोहराती हूँ कि इसे पढ़ने के बाद अब बताओ कि भूत होता है? तो बच्चे हर बार कुछ इसी तरह का जवाब देते हैं जो साझा कर रही हूँ —
भूत होता है थोड़ा-थोड़ा मानते हैं, हमें श्रवण से पता चला है कि भूत होता है
वो वाली गली ठीक नहीं है
दीदी! इमली गाछ में एक खोखल बना है उसमें रात के कुछ गोल – गोल दिखता है जब कहा अगली बार मुझे बुलाना तो पहली में पढ़ने वाले अभिनव ने कहा जब तक आपको बुलाएंगे वो भाग जाएगा।
ऐसे ही आज एक शब्द आया था श्राप तो पूछा किसी को पता है इसका क्या अर्थ होता है ? राहुल ने हामी भरी और जब समझाने के लिए कहा तो बड़ा सटीक उदाहरण देकर समझाया- मान लीजिए श्रवण एक कीड़ा है और राहुल उसको मरता है तो उसे श्राप मिलता है कि राहुल तुम्हें भी कोई एक दिन ऐसा ही मारेगा। इस तरह की बातों के बारे में सुनकर लगता है कि अँध-विश्वास से जुड़ी तमाम बातों के मायने और उसका आशय बच्चे कितनी सहजता से समझाते हैं और विश्वास करते हैं जबकि इस उम्र में जिन ज़रूरी विश्वासों और ज्ञान उनके हिस्से आना चाहिए वो मिसिंग है।
आज बातचीत में अभिनव ने पूछा दीदी आप डायरी में क्यों लिख रही हैं, उसे बताया कि लिटिल इप्टा की डायरी लिख रही हूँ, जब तुम लोग बड़े हो जाओगे तो पढ़ना । तपाक से उसने कहा कि तब तो आप यहां नहीं रहेंगी , रिटायर हो जाएंगी , खत्म हो जाएँगी तो बाकी बच्चे बोले अरे ! ऐसा नहीं बोलते कि खत्म हो जाएँगी, दीदी का नंबर तो हम लोगों के पास रहेगा। श्रवण ने कहा तब मेरी शादी हो जाएगी तो अभिनव ने कहा मेरा बच्चा भी हो जाएगा और यह सब सुनकर सहज ही हंसी से कमरा भर गया। बच्चों की बातों का रस पढ़ने में पता नहीं कितना आएगा पर उनके साथ रहते रोज़ मासूमियत भरी बातों से वास्ता पड़ता है और उसके रस में डूबी रहती हूँ। पूरे समय कुछ बच्चों का खिलखिलाना और चुप न रहना भी इप्टा के कमरे का ऐसा हिस्सा है जो याद दिलाता रहता है कि बच्चों के जितना सहज रहना उनके ही बस की बात है।
इस चर्चा के बाद राजेश जोशी की दो कविता पढ़े जिसमें ‘बादल क्या है ‘, जिसे बच्चे गाते भी हैं और ‘पेड़ क्या है ‘ – इस कविता के बहाने पेड़ के विज्ञान पर थोड़ी बात हो गई कि दिन भर पेड़ क्या करता है ,कैसे खाना बनाता है और फल – फूल से हमें भरता है। बच्चों के लिए कविता लिखना कठिन काम है जिसमें बच्चों की समझ में सीधे पहुँचना बहुत कम कवियों के हिस्से आया है जिसमें एक राजेश जोशी हैं और प्रभात, सुशील शुक्ल, शिराज़ हुसैन, फरह अज़ीज़, और जसिंता केरकेट्टा जैसे कवियों के अलावा भी बहुत कवि शामिल हैं। यहां आज राजेश जोशी के जन्मदिन पर आप उन दोनों कविताओं को पढ़िए और लिटिल इप्टा के बच्चों से सुनिए भी –
पेड़ क्या करता है दिन भर ?
राजेश जोशी
माँ कहती है
पेड़ रात में सोते हैं
तो पेड़
क्या करता है दिन भर?
हम्माल
हम्माली करता है
मजूर
मजूरी अफसर
अफसरी करता है
बाबू बाबूगिरी
और
रात को थक कर सोता है
और पेड़
पेड़ क्या करता है दिन-भर?
दूसरी कविता ‘बादल क्या है ‘
बादल क्या है / राजेश जोशी
बादल क्या ऊँट है
नीले रेगिस्तान में
जिसके पेट में पानी हिलता है!
बादल क्या हाथी है
जो सूंड में भरकर नदी
पानी इधर-उधर उड़ाता है !
बादल क्या है
आख़िर उसके आते ही
मेरा मन इतना ख़ुश क्यों
हो जाता है
क्या मेरे अन्दर के पानी
और उसके अन्दर के पानी में
कोई नाता है!
बादल क्या है
बादल कुआ तितली है
जो समुद्र का पराग-केसर
चुरा कर ले जाता है
और सारी धरती पर खिलाता है
पानी के फूल!
बादल क्या है !
बढ़िया अर्पिता। बच्चे इसी तरह कई कवियों-लेखकों से, उनकी रचनाओं से, भाषा से, बिंबों से, परिचित होते रहें तो ज्ञान की दुनिया में, जो उनकी मातृभाषा से कुछ अलग मानक/रचना की भाषा होती है, अभिव्यक्ति होती है, जो पाठ्य पुस्तकों से लेकर औपचारिक संवाद की भाषा भी है, उसके नज़दीक पहुँचेंगे और हिन्दी की उस ज्ञान-भाषा से उनका डर या दूरी घटती जाएगी।