याद ए पुरखे

बाल दिवस पर बच्चों के नाम पाती

चाचा नेहरू के जन्मदिन पर दुनिया के तमाम बच्चों को उनके बचपन के लिए ढेर सारी मुबारक़बाद।

नन्हे बच्चों आप जब अभी बचपन जी रहे हैं तो यकीनन आपको अक्सरहां लगता होगा कि काश ! हम जल्दी बड़े हो जाएं और अपनी मर्ज़ी का करने लगें। मुझे लगता है यह ‘अपनी मर्ज़ी’ ही होती है जिसकी वजह से आप सभी बच्चे चाह करते हैं कि हम बड़े हो जाएं। आख़िर हमारी दुनिया में बच्चों को तो रोबोट समझ लिया जाता है जो अपने अभिभावकों की इच्छाओं की धुरी तक सीमित हो जाते हैं। बचपन को उन्मुक्त चिड़िया सा उड़ान भरने का हौसला करने से पहले ही समझाइश की लम्बी फेहरिस्त अपने पंजों में जकड़ लेती है और बचपन पिंजरे में क़ैद तोते-मैना की तरह पंख फड़फड़ा कर रह जाता है। कहीं न कहीं हम बड़ों की देखभाल और बातों से आजिज़ होकर ही आपको बड़े होने का ख़्याल आता होगा।

आप सोचते होंगे कि बड़ों की दुनिया में आज़ादी पंख फैलाये,बाँहें फैलाए सतरंगी दुनिया का नज़ारा कर रही है और हम बच्चे तो बड़ो के रहमो-करम पर हैं। मुझे पता है कि आप मासूम हैं और प्यार के सच्चे कद्रदान है इसलिए आप हम बड़ों की गंभीर से गंभीर भूलों को माफ़ करते ऐसे गले मिलते हैं जैसे सुबह का भूला शाम लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते।

बच्चों की दुनिया से सांस लेती,ऊँचे उड़ने की तैयारी करती है हमारी दुनिया पर हमारी दुनिया के केंद्र में बच्चे कब और कितने रहते हैं इस पर हम बड़ों को विचार किये जाने की आवश्यकता है। हमारा बच्चों के प्रति रवैया कैसा होना चाहिए इस पर सोचने की जहमत हम नहीं उठाते।आख़िर देखिये जब दुनिया के बड़े फ़ैसले लिए जाते हैं उन फ़ैसलों से बच्चों की दुनिया पर क्या असर पडेगा ये हम बड़े नहीं सोचते। हर बच्चे की ज़रुरत पूरी हो रही है या नहीं यह कभी किसी सभा, जलसे , हुकूमत का मुद्दा नहीं होता।

यकीन मानिए बच्चों! हम बड़ो की दुनिया आप बच्चों से ही गुलज़ार है और आपकी आँखों में तैरते रंगीन सपनों की बदौलत हम आने वाली बेहतर दुनिया बनाने के ख़्वाब देख पाते हैं। आपकी दुनिया से जब हम खिलते हैं , महकते हैं तो हमारी बड़े होने की जुनूनी फ़ितरत को बदलने और आप बच्चों की ख़्वाहिशों को मिलकर पूरा करने की कोशिश करनी होगी। बाल दिवस में आप बच्चों से यह कहना चाहती हूँ कि हम बड़े कामयाब हो पाएं। बड़े होकर भी बचपन की तरह सहज, मासूम हो पाएं और बेग़रज़ प्यार में डूब पाएं और ज़िन्दगी का वो लुत्फ़ उठा पाएं जो आप खाली पाकिटों में, बड़ों की झिड़कियों के साथ बेतकल्लुफ़ी से उठाते हैं।

आज के ख़ास दिन में नेहरू जी के लिए लिखी यह ख़ास नज़्म आपके लिए

जवाहर लाल नेहरू

अबरार किरतपुरी

जान-ए-हिन्दोस्तान था नेहरू
जैसे उस की ज़बाँ में था जादू
वो वजाहत वो शान थी उस में
वाक़ई आन-बान थी उस में
अम्न-ए-आलम का वो पयामी था
अल-ग़रज़ दोस्ती का हामी था
हिन्द के आसमाँ का तारा था
हम को उस ने बहुत सँवारा था
रूह-परवर रुख़-ओ-जमाल उस का
रौशनी इर्तिक़ा ख़याल उस का
लम्स-ए-गुल से रहा मोअ’त्तर भी
ला’ल भी वो था और जवाहर भी
इल्म-ओ-हिकमत से प्यार करता था
अक़्ल वो इख़्तियार करता था
लब पे जय हिन्द उस के ना’रा था
लेना आज़ादी सिर्फ़ मंशा था
नूर-अफ़ज़ा हैं यूँ करम उस के
नक़्श में हर तरफ़ क़दम उस के
हर नफ़स एहतिराम करते हैं
हम उसे सब सलाम करते हैं
रंग उस ने दिया फ़साने को
रौशनी दे गया ज़माने को
वो कि बच्चों को सब से प्यारा था
वो मोहब्बत का इस्तिआ’रा था

बाल दिवस पर संचिता दीदी का स्पेशल केक लिटिल इप्टा के बच्चों के लिए
केक के साथ बच्चों की उमंग और खुशी के साथ हम सब

2 thoughts on “बाल दिवस पर बच्चों के नाम पाती

  • Anamika chakravarty

    बहुत बढ़िया, इतने सुंदर जरूरी लेखन की बधाई

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  • Dipanwita Shyam

    I salute your beautiful thought. How well composed and expressed! The fragrance of your effort n understanding Nehruji is so touching.

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