सितारों के साथ “सितारे ज़मीन पर “

सौरमंडल में धरती का अपनी धुरी में घूमने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा के विज्ञान से हम सभी परिचित हैं और धरती से हमारा अटूट रिश्ता है और हम इसे अपना कहते थकते नहीं बल्कि अपनी धरा के साथ-साथ हम दूसरे ग्रहों में भी अपनी पहुँच बनाने की अनवरत कोशिश में लगे हैं। यहाँ धरा में खड़े होकर बचपन से ही सूरज-चंदा पर दुनिया का एक-एक बाशिंदा क्लेम करता है और इसके पीछे छिपा होता है प्यार,अपनेपन और नेह का रिश्ता। बचपन के हर किस्से, कविता और लोरी में जैसे सूरज-चन्दा आ जाते हैं वैसे ही सितारों के प्रति चुंबकीय आकर्षण हम सब महसूस करते हैं और खुले आसमान के नीचे लेटकर औंढ़ी पड़ी गगरिया के तारों-सितारों को कभी न कभी अपनी गिनती के खेल में शामिल किए हैं। मिज़ाज में यह नरमी और मुलायमियत हमें इंसान होने का दर्ज़ा देती है पर मिज़ाज में तुर्शी हमें विकर्षण की ताकत से दूर फेंके देती है और हम अलग-थलग पड़ जाते हैं। बहरहाल इस पोस्ट के शीर्षक को लिखते ही थोड़ा बहककर शीर्षक के विचार के पीछे चल दी पर कहीं खो जाने के एहसास से बचकर वापिस आ गई हूँ।
यह बताना ज़रूरी है जो प्यारे होंगे वे होंगे सितारे और उसके आगे “सितारे ज़मीन पर ” नाम तो अभी सबकी ज़ुबां पर है। शानदार मूवी है तो यहाँ यह बताते चलूँ कि आज बच्चों, किशोरों और युवाओं के साथ फिल्म देखने का मज़ा लिया जिनकी संख्या थी 68. सामूहिक फिल्म देखने का अनुभव अलहदा रहा। स्कूल, कॉलेज के बच्चों, लड़कियों के साथ देखना अलग तरह की खुशी से भरा। इनमें से ज़्यादातर पहली बार इतनी बड़ी स्क्रीन में मूवी देख रहे थे तो यह जिज्ञासा भी रही कि उन्हें कैसा महसूस हुआ जिसे एक अलग पोस्ट में साझा करूंगी।

यहाँ अपने उन अनुभवों को दर्ज़ करने की दस्तक खटखट कर रही है जिसमें उत्साह, जोश, उमंग , मुस्कुराहट, इंतज़ार, आश्चर्य और बेसब्री की मिलीजुली आवाजों के साथ अंतर्मन की आवाज़ पुकार रही है।
हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जिसमें जहाँ तक नज़र जाती है हमें अपने जैसे लोग दिख जाते हैं पर कई बार हमें लगता है ये तो हमारे जैसे नहीं हैं तो इस बात को विस्तार देती है फिल्म “सितारे ज़मीं पर”
हमारे अपने लिए नॉर्मल/सामान्य व्यवहार किसी और के दिलों-दिमाग में एबनॉर्मल/असामान्य प्रतिक्रिया का संचार कर सकती है यह दिखाती है फिल्म “सितारे ज़मीं पर”
दुनिया को जितना क्लिष्ट या जटिल बनाने की योजना हम बनाते हैं पर उससे कहीं पार नहीं पा सकते, यह दिखाती है फिल्म “सितारे ज़मीं पर”
अपने अहं से पार पाने का नाम है फिल्म “सितारे ज़मीन पर”
प्यार,समझदारी और विवेक से हर मुश्किल को पार करने का नाम है फिल्म “सितारे ज़मींन पर”
ज़िन्दगी को किस नज़रिये से देख रहे हैं इसका आईना है फिल्म “सितारे ज़मीन पर”
हल्के-फुल्के अंदाज़ में गंभीर और ज़रूरी बातों की घुट्टी पिलाती है फिल्म “सितारे ज़मीन पर”
दुनिया को देखने के चश्मे को दुरुस्त करने वाली फिल्म है “तारे ज़मीन पर”
सभी बातों को यदि एक शब्द में कहा जाए तो इंसान बनने की सीख देने का नाम है फिल्म “सितारे ज़मीन पर”